हां मुझको इश्क़ जाताना नहीं आया ।

तू खफा-खफा सी थी मुझसे ,

ओर मुझको तुझे मानना नहीं आया।

सोचा कि तू पढ़ लेगी इश्क को आँखों में मेरी ,

पर तुझको तो कभी आंखे पड़ना ही नहीं आया ।

क्या कोई कमी रही थी मोहब्बत में मेरी ,

या फिर मुझको इश्क़ करना ही नहीं आया ।

जब भी चाहा था मैंने इश्क़ को जाताना तुझसे ,

देखकर तुझको मेरे लबोँ पर कभी कोई अलफ़ाज़ नहीं आया ।

हां मुझको इश्क़ जाताना नहीं आया ,

तू खफा-खफा सी थी मुझसे ,

ओर मुझको तुझे मानना नहीं आया ।।।











हां मुझको इश्क़ जाताना नहीं आया ।

तू खफा-खफा सी थी मुझसे ,

ओर मुझको तुझे मानना नहीं आया।

सोचा कि तू पढ़ लेगी दिल के जज़्बात मेरी आंखों में ,

पर तुझको तो कभी आंखे पड़ना ही नहीं आया ।

क्या कमी रही थी मोहब्बत में मेरी कोई ,

या फिर मुझको मोहब्बत करना ही नहीं आया ।

जब भी चाहा मैने इजहार ए इश्क बयां करना तुझसे ,

देखकर तुझको मेरे लबोँ पर कभी कोई अलफ़ाज़ नहीं आया ।

हां मुझको इश्क़ जाताना नहीं आया ,

तू खफा-खफा सी थी मुझसे ,

ओर मुझको तुझे मानना नहीं आया ।।।

Hindi Shayri by योगेश कुमार : 111268038

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