वो बात जो तूने कभी समझी ही नहीं ,

ओर मैं कभी कह नहीं पाया ।

सोचा था कि आंखे बयां कर देंगी ।

ओर आँखें तो तू कभी मेरी पढ़ ही नहीं पाया ।

Hindi Shayri by योगेश कुमार : 111267613

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now