हर दशहरे पर
रावण को
चौराहे पर जलाते हो
मगर क्या
बुराई को
मन से मिटा पाते हो
असत्य पर
सत्य का
जश्न भी मनाते हो
मगर क्या
अपने जीवन में
सत्य को
उतार पाते हो
जब मिटेगा
मन से
अहम का अंधेरा
सच्चे अर्थों में
होगा तब
विजय दशमी का सवेरा।।

✍️नेहा शर्मा।

Hindi Poem by Neha Sharma : 111267360

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now