खता, कर बेठै है ऐतबार करने की।
हम आगे बडने की एज़ाज़त दे रहे है।
वो तो इझहार से भी डरते हैं।
हम इम्तहान देनेको तैयार है और
वो तो इनकार करके बेठे है!
हम इंतज़ार करने को तैयार है!
ओर वो कमबख़त इशकेयार डरते है

Hindi Shayri by Best Frind Forever : 111265987

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now