बरसात ही सही प्यार के मौसम  तो हो गए
मेरी जिन्दगी के कुछ ग़म तो कम हो गए
इतनी मोहब्बत से पुकारा "धारा" ने
मिलों दूर ही सही हम उनके दिल मे बस गए

Hindi Shayri by Parag Parekh : 111261779

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