कई जीत बाकी है
कई हार बाकी है
अभी तो जिंदगी का सार बाकी है
यहा से चले हैं नई मंजिल के लिए
ये तो सिर्फ एक पन्ना था
अभी तो पुरी किताब बाकी है।

Hindi Shayri by Chhelu Makwana : 111261007

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