मुद्दत का सफर भी था,
ओर बर्षो कि चाहत भी थी,

रुकते तो बिखर जाते,
चलते तो दिल टूट जाते,

यु समझ लो की ……

लगी प्यास गज़ब कि थी,
ओर पानी मे भी ज़हर था,

पीते तो मर जाते,
ओर न पीते तो भी मर जाते।

कितने बरसों का सफर यूँ ही ख़ाक हुआ।
जब उन्होंने कहा “कहो..कैसे आना हुआ ?”
@खान।..

Hindi Shayri by Abbas khan : 111257372

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