मेरे संस्कारों की चढ़ी चादर थी मुझपे
तेरे एक तरफ़ा प्यार का शिकार हो गयी।

वो भोली सी सूरत थी मेरी, वो आँखों में नमी भी,
होठों पे दबी दबी मुस्कुराहट थी कहीं

Hindi Shayri by Abbas khan : 111256749

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