थोड़ा ठहर जा ऐ जिंदगी, सांस तो लेने दे,जरा पलभर।। क्यों दौड़ती ही रहती है तू, रेलगाड़ी की तरह सरपट।। कौन राह निहारे है तेरी, क्या तेरा भी है कोई हमदम।। आ मिल जिएं, ये खुशियों के लम्हें, न जाने किस घड़ी , जुदा हो जाएं तुम हम।। ✍️सरोज ✍️

Hindi Poem by Saroj Prajapati : 111256243

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