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तलप-ए-चाय .. तु मुजे रोज इस कदर तंग करती है .. तु मुझे रोज मेरी नींद से अलग करती है ...
आप भी कम नही है जनाब शायरा ..
गुरुर तो है चाय को ... पर वो सब की है तो जताने की आदत नही उसको ..
वाह वाह शायर साहेब...,,
यू चाय पे हमे बुलाया न कीजिये , चाय के बहाने यू हमको तडपाया न कीजिये .. हमे मालूम है कि आपको पता है हमारी कमजोरी .. पर जनाब यू कमजोरी का फायदा उठाया न कीजिये ..
कभी आप भी आना हमारी चाय को गुरूर बिलकुल भी नहीं हैं....
वाह क्या चाय है आपकी
चाय की कुछ और बात अगर में बताने जाऊ तो, बस एक वहीं हैं जिसने मुझे आज तक ना धोका दिया हैं नाही मेरा साथ छोड़ा है और हा मेरी खुशी के लिए हस्त्ते हस्ते उबल भी जाती हैं वो बस कुछ इस तरह हैं मै और मेरी चाय...
वाह जनाब .. ये चाय की बात ही कुछ और हे .. जो खुद जल कर बनती और हमे सुकून देती है ..
चाय तो चाय हैं भाई... जलाती भी हैं और बादमें सुकुन भी देती हैं
उसे एक नजर देखने को तड़पते थे हम .. फिर तंग आकर हमने चाय से महोब्बत कर ली ...??
शांत की साथ खुश भी हैं?
Wahh ..जगाने वाली चाय है तभी तो हम शांत है ...???
अगर सुबह जगाने वाली चाय हैं तो नींद कुर्बान करना भी अच्छा लगता है...
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