दास्तान-ऐसी इश्क हमें उन्हे सुनानी थी पर
उनहोंने कहाँ.. पास वक्त ही नहीं...
फिर आज आऐ है.. कहते हैं
आज वक्त है तुम इत्मीनान से अपनी दास्तान सुनाऐ;
पर आज हमें सांस लेने की भी फुरसत नहीं
क्यु: की आज हम कब्र में...

Hindi Shayri by D S Dipu શબ્દો નો સાથ : 111255197

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