अच्छे वक़्तों की तम्मना में रही उम्र-ए-रवां,
वक़्त ऐसा था के बस नाज़ उठाते गुजरी..
ज़िन्दगी ख़ाक ना थी, ख़ाक उठाते गुजरी..
तुझसे क्या कहते तेरे पास जो आते गुजरी..

Hindi Shayri by Sarita Sharma : 111237728

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