नियति की कलम से मुलाकात लिखी थी
अचानक उस रोज मे तुमसे मिली नही थी,
शायद तुझसे जुडी हुई थी किस्मत मेरी
वरना मे पहले कभी यु लडखडाई नहीं थी,
बिछडना हमारा समय की करामत होगी
वरना मुहब्बत तो हमारी अधुरी नहीं,
याद करना तुम्हें हमारा काम बन गया है
पर पहले ऐसी कभी मैरी आदत नहीं थी,
मे तेरे नाम को लिख तो दुं इस कलम से
पर तुं कभी मेरी कविता सी नहीं थी,
तारीफ़ तो तेरी हर वक़्त मे करती हुं
पर मे तेरे मन की खुशबू समझी नहीं थी,
मेरी हर खुबसुरत गजल कि प्रेरणा हो तुम
वरना पहले किसीने उसे चाँवसे पढी नही थी,
तेरी हर बात याद है मुझे समीकरण सी
वरना मे गणित के अलावा किसीकी नहीं थी,
प्यार मे हमने बहुत जी ली अपनी जिंदगी
जैसी मजेदार हमने जीने की सोची नहीं थी,
तेरी आँखों में शामिल हों जाना चाहते थे
तुझे परेशान करना मेरी फ़ितरत नहीं थी,
छोड देते है फ़रियाद करना आज तुमसे
घायल होना प्यारमे बड़ा खुशी देता है
इसलिए उससे भागना मेरी ख्वाईश नहीं थी,
तुं चाँद सी चमकती रहना आसमान मै
वैसे भी मेरी तुझे छुने की औकात नहीं थी,
नियति की कलम से मुलाकात लिखी थी
अचानक उस रोज मे तुमसे मिली नही थी।
P. K...
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