दुनिया है पत्थर की ये जज्बात नहीं समझती,
दिल में जो छुपी है वो बात नहीं समझती..
???????????
चाँद तन्हा है तारों की बारात में,
पर ये दर्द जालिम रात नहीं समझती..
???????????

???शुभरात्रि मित्रों???

Hindi Shayri by Chaudhary Khemabhai : 111235951

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now