जब चाहो होठों से लग जाती है,
एक पल में उबल कर संभल जाती है,
दिल को जला कर भी सहला जाती है,
एक पल को ग़म सब भुला जाती है।

सुकूँ और ताजगी को एक साथ सँजोती है
असली महबूबा तो फिर चाय ही होती है।

Hindi Good Morning by S Kumar : 111229551

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now