‘महानपुर के नेता’ एक बहुत ही महान गाँव की कहानी है। इतने महान गाँव की कि यहाँ महानता की केवल बातें ही नहीं की जातीं अपितु उन्हें व्यवहार में भी उतारा जाता है। 300 बरस पहले महान बाबा ने महानपुर बसाया तो सबसे कहा कि यहाँ न कोई जाति होगी न ही धर्म। सब महानता का व्यवहार करेंगे और सबके नाम के आगे बस महान लगेगा। इस बात को महानपुरियों ने गाँठ बाँध लिया और ये गाँठ तब तक कसकर बँधी रही जब तक महानपुर में चुनाव की चिड़िया नहीं आयी। लेकिन जब चुनाव की चिड़िया ने चहकना आरम्भ किया तो महानता के मायने बदलते गये। एक जोड़ी बूढ़ी आँखों के आगे एक शहरी ने महानता को ही हथियार बनाकर महानता का गला घोंटने का हर सम्भव प्रयास किया। महानता के बोझ तले दबे महानियों के मूल स्वभाव की कुरेदन से बने नये चित्रों की रंगकारी ही है ‘महानपुर के नेता’।

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Hindi Story by Pranjal Saxena : 111227426

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