कोई मिले इस तरह कि फिर जुदा न हो,
समझे मेरा मिजाज और कभी नाराज़ न हो,
अपने एहसास से बाँट ले सारी तन्हाई मेरी,
इतनी मोहाब्बत दे जो पहले किसी ने किसी की न हो।

English Shayri by Nawab Farhan Khan : 111219948

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