मेघों से गिरे
कूपों में बसे

झरनों से झरे
गंगा में बहे

कितना भी
साफ़ हो पानी
तुम्हारे प्रेम सा
नहीं होगा-

देखो तो कैसा
चमक गया हूँ
तुम से धुल कर

English Shayri by S Kumar : 111216201

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