पता है तुम्हें मेरे स्वप्न
क्यों विलक्षण हैं ?

उन्हें मेरे अतिरिक्त
कोई नहीं देखता,
तुम भी नहीं
और उन में
तुम्हारे अतिरिक्त
कोई नहीं होता,
मैं भी नहीं

किंतु वे सदैव
सम्पूर्ण रहे हैं
मेरे इस अपूर्ण
जीवन में तुम्हारे
चिर अभाव में

English Romance by S Kumar : 111216122

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