‘का हम इतने बुरे बेटे हैं... आखिर हम इतना बुरा कैसे सोच सकते हैं, वो भी अपने बाबू ...
गाँव के किनारे घने जंगल के कोने से दुबकी नहर गर्मी के डर से पेट में पानी चिपकाए खेतों ...
‘आखिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है…? इतनी कोशिश करने के बाद भी मुझे नहीं मिल रहा...मैं क्या ...
“चार दिन से घर में चूल्हा नाहीं जला, बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं । उ तो रामनयना क ...
‘बधाई हो, लाला हुआ है’ अस्पताल के रिसेप्शन के सामने सरोज की सास प्रेमावती अपनी समधिन मनोहरी देवी से ...