बंद खिड़कियाँ - 7

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अध्याय 7 सरोजिनी स्वयं तैयार होकर अपने कमरे में अरुणा का इंतजार कर रही थी। दोपहर का खाना खाकर थोड़ी सी नींद निकालने के बाद कॉफी पीने जब उठी तब अरुणा घर आ गई थी। उसका चेहरा थका हुआ होने पर भी वह उत्साहित थी। उसे देखते ही "हेलो दादी" हंसते हुए बोली। "मुझे अमेरिका की एंबेसी में नौकरी मिल गई।" अरुणा उससे गले मिलकर हंसी। "मैं भूली ही नहीं, टिकट लेकर आई हूं !" "शंकर आ रहा है क्या ?" "नहीं हम दोनों लोग ही हैं।" अरुणा ने झुक कर दादी को मजाक से देखा। "क्यों पूछ रही हो