नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 20

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20 सारांश जानते थे समिधा अपने मन से कुछ भी कह व कर सकती है पर किसी के बाध्य करने पर कुछ भी नहीं | फिर भी उन्होंने पत्नी को मनाने का प्रयत्न किया |  “करवा दो न भाई, काम पूरा---“ ये वही सारांश थे जो उसे परेशान देखकर इस योजना को छोड़ने के लिए उसे बाध्य कर रहे थे ! कमाल है सारांश भी! कभी अट्ट, कभी पट्ट !! वैसे तो इतने अवरोध डाले बीच में, अब जब वह काम करना चाहती है और अब जब वह जाना नहीं चाहती तब दामले की सिफ़ारिश कर रहे हैं ! कहीं