सुलझे...अनसुलझे - 17

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सुलझे...अनसुलझे बेशकीमती रिश्ते -------------------- ‘छोटे बच्चों को मनाना कितना आसान होता है न मैडम| ज्यों-ज्यों ये बच्चे बड़े होते जाते है, उतना ही इनको मनाना मुश्किल का सबब बनता जाता है। आपको एक बात बताऊँ....मेरा बेटा राहुल जब छोटा था उसको हर बात मुझ से साझा करनी होती थी। स्कूल से घर आते ही बैग को एक तरफ डाल देता था| फिर स्कूल की प्रार्थना की घंटी बजने से लेकर उसकी बातों का सिलसिला शुरू होता तो छुट्टी की घंटी बजने तक हर क्लास हर दोस्त से क्या-क्या बातें हुईं सब बताता था|... राहुल कोशिश करता था कि एक ही