कुत्ते की तेरहवी

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व्यंग्य कथा कुत्ते की तेरहवी रामगोपाल भावुक हमारे एक रिश्तेदार जब-जब आते हैं। नये-नये किस्से लेकर ही आते हैं। उन्हें किस्से सुनाने का बहुत शौक है। हम चाहे कितने ही महत्वपूर्ण कार्य में व्यस्त हो, वे आ भर जाये हमें उनकी बात सुनने बैठना ही पड़ता है। आज हम अपनी साहित्यिक संस्था के चुनाव के सम्बन्ध में चर्चा कर रहे थे कि वे आ धमके। उनके आते ही हमें अपनी बातें लइयॅा-पइयॉ समेटकर उनका किस्सा सुनने बैठना पड़ा। वे आते ही बोले-‘आज इधर से निकला तो सोचा आपसे मिलता चलूँ, इसलिये लौट पड़ा। कल