अपना सा एक अजनबी - २

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मैंने कई बार उस मैसेज को पढ़ा। मुझे समझ नहीं आया क्या करू कुछ रिप्लाई करू या ना करू। मेरी एक बुरी आदत थी मुझे लोगो के मैसेज या खत पढ़ने में बहुत मजा आता था।मैंने सोचा रिप्लाई ना सही चलो पुराने मैसेज ही पढ़ ले। मैं मैसेज चेक करने लगा पर संजना का कोई और मैसेज नहीं था। मुझे लगा शायद मुझे फ़ोन देने से पहले उसने डिलीट कर दिया हो। मैंने फ़ोन रखा और सो गया। अगले दिन ऑफिस जाते वक़्त मैं उसका भी फ़ोन ले कर ऑफिस गया की क्या पता उसका फ़ोन आये पैसे लौटने को।