परिस्थिति - कुछ सवाल और एक सोच

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हम सदा परिस्थितियों पर ही निर्भर रहते हैं। परिस्थिति हमारे अनुकूल हो तो सब अच्छा लगता है और विपरीत हो तो वक़्त खराब लगता है। क्या परिस्थिति के खिलाफ़ जाकर कुछ करना उत्तम होगा? मन में ये विचार बहुत बार आता है पर कभी करने की हिम्मत क्यों नहीं हो पाती? शायद मन में डर है कुछ और गलत न हो जाने का। क्या कभी हम परिस्थितियों को काबू में कर सकते हैं? हमेशा उसके आगे झुक कर चलना ही सही होता है या हमें लड़ना चाहिए? पहले से कह पाना मुश्किल लगता है पर अगर आपको