ईर्ष्या ने पाप का भागीदार बना दिया (मध्य भाग)

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उस कक्ष में बैठा व्यक्ति जिसे वो सुन्दरी अपना पति बता रही थी एक वृद्ध था जिसकी आयु उस स्त्री से तीन गुना अधिक थी अब मेरे मन में उस मन मोहिनी के लिए प्रेम के साथ दया भाव भी उत्पन्न होने लगा मैं मन ही मन उसके भाग्य पर खेद व्यक्त करने लगा अभी मैं इन परिस्थितियों पर विचार कर ही रहाँ था के सामने बैठे बुढ़े ने अत्यंत आदरपूर्वक मेरा स्वागत किया और अपने साथ बिठा लिया उसने मुझसे मेरा परिचय माँगा तो मेने उसे अपने उपर एक के बाद एक तुट पड़ी आपदाओं का विस्तार से वर्णन किया जिसको