अच्छाईयां –३५

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भाग – ३५ सूरज के हाथमें श्रीधर की चिठ्ठी थी और वो उसे पढ़ रहा था, ‘वैसे तो मैं माफी के लायक भी नहीं फिर भी आप मुझे माफ़ कर देंगे ऐसी आशा रखता हूँ | ये चिठ्ठी मैं सूरज के लिए ही लिख रहा हूँ क्यूँकी मुझे पता है की सूरज को इसकी जरुरुत पड़ेगी | मैं कुछ बात आपसे बताना चाहता था मगर मैं आप से कभी बता नहीं पाया | जिन्दगी की करवटे कैसे बदलती है वो मैं अब समझ रहा हूँ | मैंने आप सबका दिल दुखाया है | मैं क्या करता ? गुंजा और मैं