बेटियां भवानी प्रसाद की आंखों से नींद कोसों दूर थी। शरीर पलंग पर था मगर दिल कहीं ओर। वे ...
मुआवजा-विवाह अंधकार ने अपना फन फैलाया। अंधेरे का काला सर्प रेंगा और शाम के धुंधलके पर कुण्डली मारकर बैठ ...
दफ्तर जाते समय सुधा जब मुझे दरवाजे तक छोडऩे आई तो मेरे साथ उसकी नजर भी उस मुस्कराते चेहरे ...
'मकान का नक्शा न हुआ। ताजमहल का टेंडर हो गया। आखिर कब तक चक्कर लगवाएंगे ये लोग? बड़बड़ाते हुए ...