Hindi Poem videos by ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़ Watch Free
Published On : 25-Dec-2025 09:15pm62 views
वक़्त की दहलीज पर खड़ा, आज भी
वहीं देखता हूँ,
जहाँ हाथ छूटा था तेरा, मैं आज भी
वहीं ठहरता हूँ,
लोग कहते हैं कि वक़्त हर ज़ख्म भर
देता है,
मगर मैं तो हर गुजरते दिन के साथ
तुझे और गहरा महसूस करता हूँ,
तुम तो मुड़ गए अपनी नई दुनिया की
रौशनी की तरफ,
पर मेरी शामें आज भी तेरे जिक्र की
मोहताज हैं,
वो जो हंसी हम बांटते थे कभी
बेपरवाह होकर,
अब वो बस मेरे तकिये के नीचे दबे
कुछ राज हैं,
कभी-कभी सोचता हूँ कि क्या तुझे
भी हिचकियाँ आती हैं.?
क्या मेरी यादें कभी तेरी नींदों में
खलल डालती हैं.?
या तूने वाकई मुझे किसी पुराने ख़त
की तरह जला दिया,
और अब मेरी परछाइयाँ भी, तुझे
नहीं पहचानती हैं.?
अजीब कशमकश है__तुझे पाने की
हिम्मत नहीं रही,
और तुझे भूल जाने का हौसला, ये
दिल जुटा नहीं पाता,
तू खुश है अपने हाल में शायद यही
तसल्ली है मेरी,
पर ये कमबख्त दिल है कि अपनी
बर्बादी का जश्न मना नहीं पाता,
कभी सोचा न था कि ये ख़ामोशी
इतनी शोर करेगी,
कि तेरे बिना मेरी हर साँस एक बोझ
बनकर रह जाएगी…🔥
╭─❀💔༻
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh ☜
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वफ़ा की राहों में
मेरा ही घर क्यों जला,
मंजिल उसे मिली
मैं क्यों राहों में रह गया,
वो जो कहते थे कि
साथ निभाएंगे उम्र भर,
वो मोड़ पर छोड़ गए
ये मलाल रह गया,
मांगी थी दुआ
जिसमें सिर्फ उसकी खुशी,
मेरी ही झोली खाली क्यों
ये सवाल रह गया,
लिखा था खुदा ने
सबकी तकदीर का पन्ना,
सिर्फ मेरा ही पन्ना
कोरा क्यों रह गया.?
Jo log ruh me bas jaate he
Ham Chahte huy bhi unse dur nahi ja pate
Aur na hi unka kuchh bura chahte he
Jo log ruh me bas jaate he
Ham chahte huy bhi unhe nahi chhod pate he
Chahe wo kitne bhi bure ho
ham unka bura chahte he

यार इतना तसल्ली मुझ में
नहीं है,
हां यह उलझने भी मुझे अब
सुकून देती हैं..🥀🖤✍🏼