Hindi Poem videos by Mohit Rajak Watch Free

Published On : 08-May-2023 04:38pm

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तू इस मन का दास ना बन
इस मन को अपना दास बना ले
देखो मन के खेल निराले नित्य नित्य नवा डेरा डाले
नव अश्व के जैसा चंचल किसी के सामने ना आए संभाले
इंद्रियों के विषयों में फस कर
जीवन तूने व्यर्थ गवारे
तो ऐसे मन का दास ना बन इस मन को अपना दास बना ले
मन ही गिराए मन ही उठाएं
मन ही अमीर फकीर बनाए
मन से बड़ा शत्रु नहीं कोई
मन ही परम मित्र कहलाए
अभ्यास और वैराग्य के बल से
दृढ़ता से मन पर तू काबू पा ले
तू ऐसा मन का दास ना बन इस मन को अपना दास बना ले
कर्म से देखो निमित्य है बनते
निमित्य से जीवन में सुख दुख आते
निष्काम कर्म करे जो जोगी
भवसागर से वह तर जाते
कर्मों के फल को त्याग दे बंदे
जीवन मरण से मुक्ति पा ले
तू इस मन का दास ना बन इस मन को अपना दास बना ले
झूठी माया झूठी काया
झूठा यह संसार बनाया
झूठे अपने झूठे सपने
माया ने देखो यह खेल रचाया
तू इस सत्य को जाने ले बंदे
भवसागर से मुक्ति पा ले
तू इस मन का दास ना बन इस मन को अपना दास बना ले
लाख चौरासी घूम के आया
तब जाके मानव जीवन पाया
माया मोह के धागों में फस कर
तूने जीवन व्यर्थ गवाया
मुक्ति के मार्ग पर आने खड़ा है
मानव तन को मुक्ति का द्वार को बताया
सब कुछ अपना समर्पित करके
ईश्वर में तू ध्यान लगा ले
तू ऐसे मन का दास ना बन
इस मन को अपना दास बना ले।

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