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Published On : 12-Oct-2022 12:19am344 views
उपन्यास- #सोनाझुरी_और_कबीगुरु महान कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता कबीगुरु रबीन्द्रनाथ ठाकुर को समर्पित है, जिन्होने अपनी कविताओं और गीतों, जो रबीन्द्र संगीत के नाम से विश्वविख्यात है, रचकर भारतीय साहित्य और संस्कृति का एक नया इतिहास रच डाला।
रबीन्द्र संगीत में कबीगुरु के द्वारा प्रकृति और मानवीय भावनाओं की एकीकृत अभिव्यक्ति अद्वितीय है। “सोनाझुरी और कबीगुरु” उपन्यास के माध्यम से मैने उसकी एक छोटी सी झलक प्रस्तुत करने की कोशिश की है।
रबींद्र संगीत का भारतीय और विशेषकर बंगाली संस्कृति पर गहरा प्रभाव रहा है। तभी तो भारत के पश्चिम बंगाल और पड़ोसी मित्रराष्ट्र बांग्लादेश में इन गीतों को बंगाल की सांस्कृतिक निधि माना गया है।
कबीगुरु और रबींद्रसंगीत की चर्चा बिना शांतिनिकेतन के अधूरी सी प्रतीत होती है। शांतिनिकेतन और उसके पास ही स्थित सोनाझुरी को साहित्य और प्रकृति का अद्भूत संगम कहना गलत न होगा, जहां के चप्पे-चप्पे पर मानो गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के पद्चिन्ह देखने को मिलते हैं।
कबीगुरु का व्यक्तित्व और रबींद्रसंगीत सदा से ही मुझे अपनी तरफ आकर्षित करता रहा है, जिसकी वजह से शांतिनिकेतन और सोनाझुरी की मनोरम वादियों में जाने से खुद को रोक न पाया।
रबींद्रसंगीत और बंगाली संस्कृति के तानेबाने पर रची उपन्यास “सोनाझुरी और कबीगुरू” प्रेमकथा पर आधारित है जिसके माध्यम से मैने उन स्वर्गतूल्य पावन वादियों की एक छोटी-सी लकीर उकेरने की कोशिश की है और आशा करता हूँ पसंद आएगी।
नीचे दिए लिंक पर जाकर आप उपन्यास “सोनाझुरी और कबीगुरु” खरीद सकते हैं।
https://amzn.eu/d/fLYH0oK
धन्यवाद सहित,
श्वेत कुमार सिन्हा
Shwet Kumar Sinha
लेखक,उपन्यासकार एवम् पटकथालेखक
Writer, Novelist and Screenwriter
रबीन्द्र संगीत में कबीगुरु के द्वारा प्रकृति और मानवीय भावनाओं की एकीकृत अभिव्यक्ति अद्वितीय है। “सोनाझुरी और कबीगुरु” उपन्यास के माध्यम से मैने उसकी एक छोटी सी झलक प्रस्तुत करने की कोशिश की है।
रबींद्र संगीत का भारतीय और विशेषकर बंगाली संस्कृति पर गहरा प्रभाव रहा है। तभी तो भारत के पश्चिम बंगाल और पड़ोसी मित्रराष्ट्र बांग्लादेश में इन गीतों को बंगाल की सांस्कृतिक निधि माना गया है।
कबीगुरु और रबींद्रसंगीत की चर्चा बिना शांतिनिकेतन के अधूरी सी प्रतीत होती है। शांतिनिकेतन और उसके पास ही स्थित सोनाझुरी को साहित्य और प्रकृति का अद्भूत संगम कहना गलत न होगा, जहां के चप्पे-चप्पे पर मानो गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के पद्चिन्ह देखने को मिलते हैं।
कबीगुरु का व्यक्तित्व और रबींद्रसंगीत सदा से ही मुझे अपनी तरफ आकर्षित करता रहा है, जिसकी वजह से शांतिनिकेतन और सोनाझुरी की मनोरम वादियों में जाने से खुद को रोक न पाया।
रबींद्रसंगीत और बंगाली संस्कृति के तानेबाने पर रची उपन्यास “सोनाझुरी और कबीगुरू” प्रेमकथा पर आधारित है जिसके माध्यम से मैने उन स्वर्गतूल्य पावन वादियों की एक छोटी-सी लकीर उकेरने की कोशिश की है और आशा करता हूँ पसंद आएगी।
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धन्यवाद सहित,
श्वेत कुमार सिन्हा
Shwet Kumar Sinha
लेखक,उपन्यासकार एवम् पटकथालेखक
Writer, Novelist and Screenwriter
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